जिन्दगी हैं नादान इस लिए चुप हूँ ..
जिन्दगी हैं नादान इस लिए चुप हूँ ....
दर्द ही दर्द हैं सुबह-साम इसलिए चुप हूँ !
कह दूँ ज़माने से दास्ताँन अपनी ....
उसमे आएगी तेरा नाम इस लिए चुप हूँ !!
दर्द ही दर्द हैं सुबह-साम इसलिए चुप हूँ !
कह दूँ ज़माने से दास्ताँन अपनी ....
उसमे आएगी तेरा नाम इस लिए चुप हूँ !!
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