कोई मिलता ही नहीं हमसे हमारा बन कर
कोई मिलता ही नहीं हमसे हमारा बन कर !
वो मिलते भी हैं तो एक किनारा बनकर !!
हर ख्वाब हैं कांच की तरह टूटे....
एक यकिन ही हैं साथ सहारा बन कर !!
वो मिलते भी हैं तो एक किनारा बनकर !!
हर ख्वाब हैं कांच की तरह टूटे....
एक यकिन ही हैं साथ सहारा बन कर !!
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें