ना पूछ मेरे सब्र की इंतेहा कहाँ तक हैं,
ना पूछ मेरे सब्र की इंतेहा कहाँ तक हैं,
तू सितम कर ले, तेरी हसरत जहाँ तक
हैं, वफ़ा की उम्मीद, जिन्हें होगी उन्हें होगी,
हमें तो देखना है, तू बेवफ़ा कहाँ तक हैं |
तू सितम कर ले, तेरी हसरत जहाँ तक
हैं, वफ़ा की उम्मीद, जिन्हें होगी उन्हें होगी,
हमें तो देखना है, तू बेवफ़ा कहाँ तक हैं |
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें