शर्मिंदा हूँ आज भी इन फूलों से


शर्मिंदा हूँ आज भी इन फूलों से
जिन को तेरे लिए टहनी से जुदा किया !!
और वो मेरी ही किताबों में सूख गए
तेरा इन्तेज़ार करते करते !!

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