"विक्रमसिंह" की आह से पानी मे भी अंगारे दहक जाते हैं

"विक्रमसिंह" की आह से पानी मे भी अंगारे दहक जाते हैं
हमसे मिलकर मुर्दों के भी दिल धड़क जाते हैं ..
गुस्ताख़ी मत करना हमसे दिल लगाने की सभी ;
"विक्रमसिंह" की नज़रों से टकराकर मय के प्याले चटक जाते है

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