ज़रूरत के मुताबिक ज़िन्दगी जियो

ज़रूरत के मुताबिक ज़िन्दगी जियो
ख्वाइश के मुताबिक नही, क्यूंकि,
ज़रूरत फकीर की भी पूरी हो जाती है ,
ख्वाइश बादशाह की भी अधूरी रह जाती है

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