निकलते है आंसू जब मुलाकात नहीं होती,

निकलते है आंसू जब मुलाकात नहीं होती,
टूट जाता है दिल जब बात नहीं होती है.
अपनी जान की कसम जब याद आये ना
ऐसी कोई सुबह ऐसी कोई रात नहीं होती.

Nikalte hai aansu jab mulakat nahi hoti,
Toot jata hai dil jab bat nahi hoti hai.
Apni jaan ki kasam jab yaad aye na
aisi koi subhah aisi koi raat nahi hoti.

टिप्पणियाँ

  1. व मन मित कहां मै पाऊ
    दृग देख जहां तक है पाते
    मन का सागर लहराता है
    कोई दुर बैठ कर भी
    अपनी यादों में खिच ले जाता है
    अब मन करता डग मग डग मग
    इस से उभर न मै पाऊ
    इस तृष्णा को जो बुजा दे
    व मन मित कहां मै पाऊं ।

    अरविन्द

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