शोक नही रहा अब हमे इश्क मोहबब्त का…

शोक नही रहा अब हमे इश्क मोहबब्त का…
वरना आज भी गाँव की गौरी पनघट पे
और शहर की छोरी ट्यूशन पे हमाँरा इन्तजार करती है

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